नेपाल में Gen Z की शुरुआत
सितंबर 2025 में नेपाल सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया — 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाया, जिसमें Facebook, Instagram, WhatsApp और YouTube शामिल थे। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ये प्लेटफ़ॉर्म सरकार द्वारा नए लगाये गए पंजीकरण नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। इस कदम को बड़ा कदम मानते हुए युवा वर्ग, विशेषकर Generation Z ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया। इसने जनता में पहले से मौजूद भ्रष्टाचार, राजनीतिक परिवारवाद (“nepo kids”) और अवसरों की असमानता जैसी ताज़ा नाराज़गी को एक आंदोलन में बदल दिया।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन से हिंसक संघर्ष तक
आंदोलन की शुरुआत सामान्य और शांतिपूर्ण तरीके से हुई — युवा काठमांडू समेत कई शहरों में इकट्ठा हुए, हिम्म्त दिखाने लगे। लेकिन जैसे-जैसे प्रदर्शन बढ़े, स्थिति और कड़क हुई। सरकार ने सुरक्षा बल भेजे, जिसमें आंसू गैस, जल तोप, रबर की गोलियां और यहां तक कि असली गोलियां इस्तेमाल की गईं। प्रतिकार हुआ, पार्लियामेंट और उच्च स्तरीय सरकारी भवनों पर कब्जा और आग लगने जैसी घटनाएं हुईं।
हिंसा की परिणति: जान-माल का नुकसान
प्रदर्शन के दौरान भयावह हिंसा हुई — अब तक 20 से अधिक लोग मारे गए, 1,000 से ज्यादा घायल हुए और हजारों लोग अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती हुए। जेलों पर हमले हुए, जिससे 13,500 से ज्यादा कैदी भाग निकले, कई सरकारी भवन क्षतिग्रस्त हुए और नेताओं के घर जलाए गए।
राजनीतिक पतन और आपातकालीन प्रतिबिंब
इस दौर में राजनीतिक हलचल तेज़ हुई — गृह मंत्री समेत कई मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया। आखिरकार प्रधानमंत्री KP शर्मा ओली को भी इस्तीफ़ा देना पड़ा। देश में कर्फ्यू जारी किया गया और सेना को राजधानी काठमांडू में तैनात किया गया।
सोशल मीडिया प्रतिबंध वापस… लेकिन आंदोलन जारी
इवेंट्स की तीव्रता के बीच सरकार ने सोशल मीडिया प्रतिबंध वापस ले लिया। लेकिन यह कदम Gen Z आंदोलन की भूक को शांत करने में विफल रहा — युवा अभियान आगे बढ़ता रहा, राजनीतिक जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग लगी रही।

Gen Z आंदोलन का असर और भविष्य की दिशा
नेपाल का Gen Z आंदोलन सिर्फ़ एक विरोध नहीं, बल्कि नई सोच और नई राजनीति की मांग बन चुका है। यह आंदोलन उस पीढ़ी की आवाज़ है, जो सोशल मीडिया पर पली-बढ़ी है और पारदर्शिता, स्वतंत्रता और समान अवसर चाहती है।
आंदोलन का सबसे बड़ा असर यह रहा कि सरकार को सोशल मीडिया बैन हटाने पर मजबूर होना पड़ा। यह कदम दिखाता है कि जब युवा एकजुट होकर अपनी मांग रखते हैं, तो सत्ता को झुकना पड़ता है। साथ ही, भ्रष्टाचार और राजनीतिक वंशवाद (nepo politics) के खिलाफ युवाओं की नाराज़गी अब खुलकर सामने आ चुकी है। इससे नेपाल की राजनीति में बदलाव की लहर तेज़ हो सकती है।
काठमांडू और अन्य शहरों में लगातार प्रदर्शन यह भी साबित करते हैं कि यह सिर्फ़ राजधानी तक सीमित मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे देश का गुस्सा है। ग्रामीण इलाकों में भी युवाओं ने अपनी आवाज़ मिलाई है। इसका मतलब है कि आने वाले चुनावों और नीतिगत फैसलों में Gen Z की भूमिका बेहद अहम होगी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आंदोलन नेपाल को एक नए लोकतांत्रिक अध्याय की ओर ले जा सकता है, जहाँ जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग सिर्फ़ नारों तक नहीं रहेगी, बल्कि नीति-निर्माण का हिस्सा बनेगी। हालांकि चुनौतियाँ कम नहीं हैं — हिंसा, जान-माल का नुकसान और राजनीतिक अस्थिरता अभी भी चिंता का विषय है।
निष्कर्ष: यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि बदलाव की भूख है
Gen Z आंदोलन नेपाल में लोकतंत्र, डिजिटल आज़ादी और पारदर्शिता के लिए एक ज़मीर की पुकार है। सोशल मीडिया प्रतिबंध एक त्वरित विरोध का कारण बना, लेकिन असली आग वहां फूटी जहाँ युवा वर्ग ने भ्रष्टाचार, वंशवाद और राजनीतिक गतिरोध को चुनौती दी। यह प्रक्षेपवक्र देश में नई राजनीति की नींव रखने जैसा है — जहाँ युवा आवाज़ें कानून और नीतियों से अधिक बुलंद हों।