हार्ट अटैक: सुबह-सुबह जोखिम क्यों बढ़ जाता है — एक्सपर्ट व्याख्या और बचाव के उपाय

Amit gupta
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हाल के वर्षों में दिल की बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं और अब यह मौत का एक प्रमुख कारण बन चुकी हैं। इनमें से एक चिंताजनक बात यह है कि हार्ट अटैक दिन के हर समय नहीं, बल्कि खासकर सुबह के शुरुआती घंटों में अधिक होता है। आइए आसान भाषा में समझें क्यों, किसे अधिक खतरा रहता है और आप क्या-क्या सावधानियाँ अपनाकर जोखिम घटा सकते हैं।

सुबह हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ता है?

सुबह के समय शरीर का बायोलॉजिकल क्लॉक (सर्कैडियन रिदम) बदलाव के दौर से गुजरता है। नींद पूरी होते ही कॉर्टिसोल जैसे तनाव-हॉर्मोन और अन्य रसायन अचानक बढ़ जाते हैं। इससे खून की नलियाँ थोड़ी सिकुड़ती हैं, ब्लड-प्रेशर ऊपर जाता है और रक्त जमने का खतरा बढ़ सकता है। जिन लोगों की धमनियों में पहले से प्लाक या जकड़न मौजूद होती है, उनमें इस समय हार्ट अटैक का खतरा दोगुना हो जाता है।सुबह हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ता है?


दवाइयों का समय क्यों मायने रखता है?

हाई-ब्लड-प्रेशर वाले मरीजों के लिए दवाइयों का समय भी अहम है। कई शोधों में पाया गया कि यदि ब्लड-प्रेशर की दवा रात में सोने से पहले ली जाए तो रातभर ब्लड-प्रेशर बेहतर नियंत्रित रहता है और हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट-फेलियर का खतरा कम हो सकता है। लेकिन दवा का समय बदलने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है, क्योंकि हर मरीज की ज़रूरत अलग होती है।


भारत में स्थिति कितनी गंभीर है?

भारत में हृदय रोग अब मौत का सबसे बड़ा कारण बन चुका है। हालिया आँकड़ों के अनुसार, देश में करीब हर तीसरी मौत किसी न किसी हृदय रोग के कारण होती है। यह दर्शाता है कि जीवनशैली, खानपान, तनाव और समय पर इलाज की कमी जैसी वजहों से जोखिम बढ़ रहा है।


किसे अधिक खतरा है?

  • हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज़ के मरीज
  • हाई कोलेस्ट्रॉल या धमनियों में प्लाक वाले लोग
  • धूम्रपान और शराब का सेवन करने वाले
  • अनियमित नींद या नाइट-शिफ्ट करने वाले लोग
  • अत्यधिक तनाव या अवसाद के शिकार व्यक्ति

सुबह हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ता है?
Young man feeling sick and holding his chest in pain while drinking tea in the living room.

बचाव के व्यावहारिक कदम

  1. नियमित जाँच: ब्लड-प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को समय-समय पर जाँचें।
  2. दवा अनुशासन: डॉक्टर की बताई दवाएँ समय पर लें और बदलाव से पहले सलाह लें।
  3. धीमी सुबह की शुरुआत: अचानक बिस्तर से न उठें; 1–2 मिनट बैठकर गहरी साँस लें और फिर उठें।
  4. व्यायाम और वॉक: रोज़ाना हल्की एक्सरसाइज़ और पैदल चलना दिल को मजबूत बनाता है।
  5. संतुलित आहार: नमक और तैलीय भोजन कम करें, हरी सब्जियाँ और फल ज्यादा खाएँ।
  6. तनाव प्रबंधन: योग, मेडिटेशन और रिलैक्सेशन एक्सरसाइज़ अपनाएँ।

जीवनशैली सुधार: दिल को सुरक्षित रखने का सरल तरीका

हार्ट अटैक का खतरा कम करने के लिए महंगे इलाज या बड़े बदलाव की ज़रूरत नहीं होती। छोटे-छोटे कदम ही दिल को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं। रोज़ सुबह कुछ मिनट टहलना, ताज़ी हवा में गहरी साँस लेना और हल्के योगासन करना शरीर को ऊर्जा देता है और तनाव कम करता है। भोजन में मौसमी फल, हरी सब्जियाँ और कम नमक शामिल करें। धूम्रपान और शराब से दूरी बनाकर रखें, क्योंकि ये दिल की नलियों पर सीधा असर डालते हैं। याद रखिए, दिल की सुरक्षा आपकी दिनचर्या में छिपी है।


कब डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें?

  • सीने में अचानक तेज़ दर्द या दबाव महसूस हो
  • दर्द हाथ, कंधे या जबड़े तक फैल रहा हो
  • अचानक साँस फूलना, चक्कर आना या बेहोशी आना
  • अत्यधिक पसीना और घबराहट के साथ दर्द

इन लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना या इमरजेंसी हेल्पलाइन पर कॉल करना ज़रूरी है।


निष्कर्ष

हार्ट अटैक कभी भी हो सकता है, लेकिन सुबह के शुरुआती घंटे सबसे जोखिमपूर्ण होते हैं। जागरूकता, सही समय पर दवा, जीवनशैली में सुधार और नियमित चेक-अप मिलकर इस खतरे को काफी हद तक घटा सकते हैं। यदि आप हाई-रिस्क श्रेणी में आते हैं तो अपने डॉक्टर से सुबह के समय के खतरों और दवा के सही समय पर खुलकर चर्चा ज़रूर करें।


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