विज्ञान का चमत्कार

Amit gupta
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विज्ञान का चमत्कार विज्ञान ने एक बार फिर से जैविक कल्पनाओं को हकीकत में बदल दिया है। हाल ही में चीन में एक शोध टीम ने DNA एडिटिंग और भ्रूण-स्टेम सेल इंजीनियरिंग का प्रयोग करते हुए ऐसे चूहों का निर्माण किया है जिनके माता-पिता दोनों पुरुष हैं। यानी, दो पुरुषों का जेनेटिक मटेरियल मिलकर एक स्वस्थ चूहे को जन्म दे सकता है, जो वयस्क अवस्था तक पहुंच सकता है। यह खोज स्तनधारियों में जैविक प्रजनन की सीमाएँ बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।


क्या हुआ और कैसे?

शोधकर्ताओं ने “imprinted genes” यानी वे जीन जो मां और पिता से अलग-अलग तरीके से सक्रिय होते हैं, को संपादित किया। सामान्य प्रजनन प्रक्रिया में, कुछ जीनों को माता-पिता के लिंग के अनुसार सक्रिय या निष्क्रिय होना पड़ता है। लेकिन जब दो पुरुष माता-पिता का प्रयोग किया गया तो यह चुनौती और कठिन हो गई।

इस प्रयोग में:

  • पुरुष भ्रूणीय स्टेम कोशिकाओं से जेनेटिक मटेरियल लिया गया।
  • लगभग 20 इम्प्रिंटिंग कंट्रोल रीजन (ICRs) को जीन एडिटिंग तकनीक से संशोधित किया गया।
  • एक सामान्य अंडे से नाभिक निकालकर उसमें ये संशोधित कोशिकाएँ डाली गईं।
  • इसके बाद भ्रूण को मादा चूहे में प्रत्यारोपित किया गया।

नतीजा यह हुआ कि कुछ चूहे जन्मे, जिनमें से दो वयस्क अवस्था तक जीवित रहे और स्वस्थ दिखाई दिए। हालांकि, इन चूहों में विकास संबंधी कुछ विकृतियाँ पाई गईं और वे आगे प्रजनन करने में सक्षम नहीं थे।


विज्ञान का चमत्कार

वैज्ञानिक का चमत्कार और चिकित्सकीय संभावनाएँ

यह सफलता प्रजनन विज्ञान और स्टेम सेल रिसर्च में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है।

  • उपचार की संभावना: उन लोगों के लिए आशा जो पारंपरिक प्रजनन के विकल्पों से वंचित हैं।
  • आनुवंशिक विकारों की समझ: कई बीमारियाँ इम्प्रिंटिंग से जुड़ी होती हैं, यह प्रयोग उन्हें बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा।
  • जैव विविधता संरक्षण: अगर तकनीक पर और महारत हासिल हुई तो संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

चुनौतियाँ और नैतिक मुद्दे

सवाल यह है कि क्या इंसानों पर ऐसा प्रयोग संभव होगा? अभी इसके सामने कई तकनीकी, जैविक और नैतिक बाधाएँ हैं।

  • सफलता दर बहुत कम है।
  • जन्मे चूहों में से अधिकतर वयस्क नहीं हो पाए।
  • कई चूहों में विकास संबंधी समस्याएँ देखी गईं।
  • प्रजनन क्षमता पूरी तरह खत्म हो गई।
  • इंसानों में उपयोग के लिए इसे सुरक्षित बनाने के लिए लंबा शोध और नैतिक स्वीकृति जरूरी है।

भविष्य की राह

भविष्य में वैज्ञानिकों का लक्ष्य होगा:

  1. सफलता प्रतिशत को बढ़ाना।
  2. जन्मजात दोषों को कम करना।
  3. लंबे समय तक स्वस्थ और प्राकृतिक रूप से सक्षम चूहे पैदा करना।
  4. नैतिक और कानूनी दिशानिर्देश तैयार करना।

वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया और समाज पर प्रभाव

वैज्ञानिक समुदाय इस उपलब्धि को एक वैज्ञानिक चमत्कार मान रहा है। हालांकि वे यह भी मानते हैं कि इसे लेकर अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। यह प्रयोग यह दर्शाता है कि यदि जीन एडिटिंग को सही दिशा दी जाए तो भविष्य में मानव प्रजनन चिकित्सा, बांझपन के इलाज और दुर्लभ बीमारियों के समाधान तक पहुंचा जा सकता है। दूसरी ओर, समाज में इस तरह के प्रयोग को लेकर नैतिक बहस भी तेज हो गई है। कई लोग इसे परिवार और जीवन की परिभाषा बदलने वाला कदम मान रहे हैं। यही कारण है कि आने वाले वर्षों में यह शोध सिर्फ विज्ञान ही नहीं, बल्कि समाज और नीति-निर्माण के लिए भी अहम साबित होगा।


निष्कर्ष

दो पुरुष माता-पिता से स्वस्थ चूहों का जन्म विज्ञान की दुनिया में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह तकनीक प्रजनन चिकित्सा, आनुवंशिक बीमारियों के उपचार और जैव विविधता संरक्षण में क्रांति ला सकती है। हालांकि इंसानों पर इसका उपयोग अभी संभव नहीं है, लेकिन इस प्रयोग ने भविष्य की संभावनाओं के कई नए दरवाज़े खोल दिए हैं।


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